’’ तु अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना । उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीघा मार्ग निकालेगा।’’
नीतिवचन 3ः5-6
उपरोक्त पद हमें पूरे दिल से परमेश्वर पर भरोसा करने और केवल हमारी सीमित समझ पर निर्भर न रहने के महत्व पर जोर देता है। ये पद परमेश्वर के प्रति समर्पण और उनके तरीकों पर भरोसा करने के महत्व पर जोर देते हैं। परमेश्वर पर भरोसा करना केवल स्वीकारोक्ति से परे है, उनकी निष्ठा, अच्छाई और संप्रभुता में गहरा विश्वास व्यक्त करता है। अपने सभी तरीकों से परमेश्वर को स्वीकार करने का अर्थ है अपने जीवन के हर पहलू में उनका मार्गदर्शन, ज्ञान और इच्छा प्राप्त करना। अपने सभी तरीकों से परमेश्वर को स्वीकार करके, हम अपने पथों को उनकी संपूर्ण योजना के साथ संरेखित कर सकते हैं, जिससे हमारे जीवन में स्पष्टता, शांति और उद्देश्य आ सकता है।
ये पद परमेश्वर के साथ हमारे रिश्ते में विनम्रता, समर्पण और विश्वास के महत्व पर जोर देता है, हमें अपनी समझ पर अपनी पकड छोडने और अपने स्वर्गीय पिता के ज्ञान और मार्गदर्शन पर भरोसा करने के लिए प्रोत्साहित करता हैं। ऐसा करने से, हम अपने जीवन में परमेश्वर के प्रेम और अनुग्रह की परिपूर्णता का अनुभव कर सकते हैं। आइए हम पूरे दिल से परमेश्वर पर भरोसा करने, उनकी इच्छा जानने और अपने सभी तरीकों से उन्हें स्वीकार करने के लिए प्रतिबद्ध हों, इस विश्वास के साथ कि परमेश्वर हमारे रास्ते सीधे बना देंगे। इन पदों का ज्ञान हमारे जीवन को आकार दे और परमेश्वर में अटूट विश्वास सुनिश्चित करे।
प्रार्थना- स्वर्गीय पिता, हम आपका धन्यवाद करते हैं कि आपने हमें स्वतंत्र इच्छा दिया है, लेकिन पिता हम अपनी सोच-समझ सब कुछ आपकी उपस्थिति में समर्पित कर देते हैं,हमारी सहायता करें कि हम आपके ज्ञान और मार्गदर्शन में आगे बढ़ाते हुए आपको महिमा दे सकें. आमीन.