दूसरों के लिए प्रार्थना करने से क्या होता है

तब इब्राहीम ने यहोवा से प्रार्थना की, और यहोवा ने अबीमेलेक, और उसकी पत्नी, और दासियों को चंगा किया और वे जनने लगी।

उत्पत्ति 20ः17

हम उत्पत्ति अध्याय 20 में देखते हैं जब अभिमेलेक सारा को अपनी पत्नी बनाने के लिये लेके आया, जिस कारण परमेश्वर ने अभिमेलेक पर विपत्ति डाली और जब परमेश्वर के कहने पर अभिमेलेक ने सारा को इब्राहीम को वापस लौटाया तब इब्राहीम ने अभिमेलेक और उसके पूरे घराने के लिये प्रार्थना की, तब परमेश्वर ने अभिमेलेक के पूरे घराने को चंगा किया।

इसी प्रकार आप भी दूसरों के लिये प्रार्थना करें, क्योंकि ऐसा करने से परमेश्वर उनके जीवन में कार्य करेंगे साथ ही आपके जीवन में भी कार्य करेंगे। जैसे याकूब 5ः16 पद में लिखा है कि एक दूसरे के लिये प्रार्थना करो इससे तुम चंगे हो जाओगे क्योंकि धर्मी जन की प्रार्थना से बहुत कुछ हो सकता है। जब आप एक दूसरे के लिये प्रार्थना करते हैं तो प्रभु आप दोनों के जीवन में कार्य करते हैं।

अयूब 42ः10 में हम देखते हैं जब अय्य्ाूब ने अपने मित्रों के लिये प्रार्थना किया, तब परमेश्वर ने अय्य्ाूब को चंगा किया और दो गुना आशीषित किया। इसी प्रकार यदि आप दूसरों के लिये प्रार्थना करेंगे तो प्रभु आपके जीवन में भी और उनके जीवन में भी कार्य करेंगे। यदि आप बीमार हैं तो आप दूसरे बीमारों के लिए प्रार्थना करें, यदि आप कर्ज में हैं या किसी समस्या में हैं तो आप दूसरों के लिए भी प्रार्थना करें, ऐसा करने से प्रभु आपके जीवन में भी कार्य करेंगे।

फिलिपियों 4ः6 में कुछ इस प्रकार से लिखा हैं कि किसी भी बात की चिन्ता मत करो बल्कि हर बात के लिये प्रार्थना किया करो। हो सकता है आपके जीवन में बहुत से चिन्ता के विषय हों, परन्तू आपको उन विषयों के लिये प्रार्थना करना है। और साथ में दूसरों के लिये भी प्रार्थना करना है। क्योंकि जब आप इस प्रकार से करते है। तब प्रभु उनकी प्रार्थना का उत्तर भी देते हैं। और आपकी प्रार्थना का भी उत्तर देते हैं। इसीलिये आप भी अयूब और इब्राहीम की तरह दूसरों के लिये प्रार्थना करें, प्रभु आपके जीवन में कार्य करेंगे। प्रभु आपको इस वचन के द्वारा आशीष दे। आमीन।

प्रार्थनाः- प्रभु जी हम प्रार्थना करते हैं, कि हम दूसरों के लिए प्रार्थना करने वाले बने, पवित्र आत्मा आप हमारी सहायता करें, ताकि हम लगातार दूसरों के लिए प्रार्थना कर सके, और हमारे जीवन में जो समस्यायें हैं उनको भी आप दूर करें। ताकि हम आत्मिक रूप से आगे बढ़ते जायें और लोगों के लिये आशीष का कारण बने। आमीन।

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