उसी दिन जब सॉझ हुई, तो उस ने उन से कहा; आओ, हम पार चलें,।
मरकुस 4ः35
यह पद प्रभु यीशु द्वारा तूफान को शांत करने की घटना बताता है। कि ’’भयंकर तूफान आया और लहरें नाव पर टूट पड़ीं, जिससे वह लगभग डूबने लगी।’’
प्रभु यीशु ने समुद्र पार या़त्रा की शुरूआत करते हुये कहा, ’’आओ हम दूसरी ओर चलें।’’ शिष्यों ने भीड़ को पीछे छोड़ दिया और प्रभु यीशु को नाव में अपने साथ ले गए। यह हमें प्रभु यीशु की आज्ञा का पालन करने और उसे अपनी जीवन रूपी यात्रओं में साथ लेकर चलने का महत्व सिखाता है। जब प्रभु यीशु हमें विश्वास में आगे बढ़ने और उसका अनुसरण करने के लिये आमंत्रित करते हैं, तो हमें अपने आराम क्षेत्र को छोड़ने और आज्ञाकारिता के साथ जवाब देने के लिये तैयार रहना चाहिए।
हालॉकि, प्रभु यीशु ने हवा को फटकारकर और समुद्र को शांत करके जवाब दिया।
क्या हम इस संदर्भ को आप अपने जीवन में लागू करने का प्रयास कर सकते हैं…….. यह जानते हुए कि प्रभु यीशु हमेशा हमारे साथ हैं, जीवन के सबसे अशांत तुफानों के बीच भी शांति और स्थिरता लाने मे सक्षम है?
आइए इस परिच्छेद में गहराई से उतरें और इसमें दिए गए संदेश को अपने जीवन में लागू करें
प्रार्थना- प्रेमी पिता परमेष्वर , मैं आपका धन्यवाद करता हूॅ इस जीवन के लिये। मेरी सहायता करें कि मैं अपने नाव रूपी विश्वास में आपके साथ जीवन मेें उठने वाली हर एक ऑधी- तूॅॅफान के मध्य से आगे बढ़कर आपको महिमा कर सकूॅ आमीन।