परिश्रम का फल

यदि तुम मेरी विधियों पर चलों और मेंरी आज्ञाओं को मानकर उसका पालन करो, तो मैं तुम्हारे लिये समय-समय पर मेंह बरसाउॅगा तब भूमि अपनी उपज उपजायेगी, और मैदान के वृक्ष अपने अपने फल दिया करेंगें।

लैव्यव्यवस्था 26ः3-4

      यहॉ पर प्रभू हमारे लिये कह रहें है कि यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे तो मैं तूम्हारे परिश्रम का फल दूॅगा। अर्थात इस वचन के अनुसार हमारे परिश्रम का फल और हमारी सफलता परमेष्वर के वचन पर बने रहने पर निर्भर करती है।  
     जिस प्रकार एक किसान खेती में बहुत मेहनत करता है और यदि परमेष्वर वर्षा ना करे तो उसकी मेहनत खराब हो जायेगी परिणाम स्वरूप फसल नहीं उपजेगी और किसान का परिश्रम व्यर्थ हो जायेगा। परन्तु परमेष्वर के वायदे के अनुसार उसकी आज्ञा मानने पर वह समय-समय पर मेंह बरसाता है और भूमि अपनी फसल उपजाती है। 
     इस  प्रकार वचन के द्वारा हम देखते हैं कि यदि हम एक आशीषित और फलवन्त जीवन जीना चाहते है या फिर अपने परिश्रम का फल पाना चाहते हैं तो हमें परमेष्वर की आज्ञाओं पर चलना बहुत जरूरी है। प्रभु आपको इस वचन के द्वारा बहुत आषीश दे आमीन।  
प्रर्थनाः- प्रभु जी मैं आप से प्रार्थना करता हॅू कि मेरे जीवन में कार्य कीजिये। मुझे सामर्थ्य दीजिये कि मैं आपकी आज्ञाओं पर चल सकूॅ ताकी मैं अपने जीवन में आपकी आशीषों को देख सकूॅ आमीन।

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