पुरानी मसकों में नया दाखरस भरना

मित्रो, आज मैं आपको प्रभु यीशु मसीह के वचन से ;(एक संदर्भ लेकर )बताना चाहता हुॅ, कि यदि आप अपने जीवन में आशीष पाना चाहते, या अपने आत्मिक जीवन में उन्नति करना चाहते है तो आप को अपनी सोच को पूर्ण रूप से साफ करना होगा और उसे कुछ इस तरह से तैयार करना होगा ताकि उसे नयी चीजें बोझ सरीखे ना लगें और ना ही प्रभावित कर सके।

जब आप अपनी उस हृदय रूपी मसक को पूर्ण रूप से साफ कर देंगें तो आप अपने जीवन में आशीष को आते हुये देखेंगे, तब आप अपने जीवन में सफल होंगें

’’नये दाखरस को पुरानी मषकों में कोई नहीं रखता, नहीं तो दाखरस मषकों को फाड देगा, और दाखरस और मषके दोनों नष्ट हो जाएगी परन्तु नया दाखरस नई मषकों में भरा जाता है।’’

यह कथन यीशु मसीह द्वारा फरीसियों और यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के कुछ शिष्यों द्वारा उठाए गए एक प्रश्न के उत्तर में दिया गया है। वे प्रभु यीशु से पूछ रहे थे कि उसके चेले यूहन्ना और फरीसियों के चेलों की तरह उपवास क्यों नहीं करते?

इस लाक्षणिक कथन में, प्रभु यीशु विश्वास और आध्यात्मिकता के लिए एक नए दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दे रहे हैं। पुरानी मशकें फरीसियों और जॉन बैपटिस्ट के शिष्यों की कठोर और पारंपरिक धार्मिक प्रथाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं। वे परिवर्तन के प्रतिरोधी थे और अपने स्थापित तरीकों से मजबूती से बंधे थे।

दूसरी ओर, प्रभु यीशु एक नया संदेश और परमेश्वर से संबंधित होने का एक नया तरीका बताते है। वह नई दाखरस के रूपक का उपयोग करता है, जो उसकी शिक्षाओं और उसके संदेश की परिवर्तनकारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है। नई दाखरस को पुरानी मशकों में नहीं रखा जा सकता क्योंकि वे अमान्य हैं और नई वास्तविकताओं के अनुकूल होने में असमर्थ हैं जो प्रभु यीशु बताते है।

प्रभु यीशु यहॉ पर हमें क्या सीखा रहें है?

दोस्तों यहॉ पर प्रभु येषु मसीह कुछ इस प्रकार से कह रहें हैं। नये अन्गूर के रस या दाखरस को पूरानी मषकों में नहीं रखा जाता है। इसलिये नहीं रखा जाता क्योंकि नया दाखरस जब उस मषक में डाला जायेगा नया अन्गूर का रस जब उस बर्तन में डाला जायेगा तो वो बर्तन फट जायेगा, वो बर्तन खराब हो जायेगा, और उसके कारण जो नया दाखरस है जो नया अन्गूर का रस है, वो भी खराब हो जायेगा, इसलिये प्रभु यीषु मसीह कहते है की नये दाखरस को या नये अंगूर के रस को नयी मसक में रखा जाता है।

और वो जब नये बर्तन में रहेगी तो वो सुरक्षित रहेगी अच्छे से रहेगी, और वो और स्वादिस्ट हो जायेगी। परन्तु यदि उसे पुराने में रख देंगें तो वो खराब हो जायेगी और नश्ट हो जायेगी और फट जायेगी।

शास़्त्रीयों और फरीसियों ने येशु से क्या सवाल पुछा ?

दोस्तों यहॉ पर शास्त्रीयों और फरीसियों ने येशु मसीह से सवाल पूछा सब लोग उपवास करते है यहुन्ना के चेले उपवास करते है, और भी लोग उपवास करते परन्तु तेरे चेले उपवास क्यों नहीं करते?

तब प्रभु येशु मसीह उन्हें समझाने के लिये इस बात को कह रहे हैं। तुम अपनी पुरानी शिक्षाओें को मेरी शिक्षा में शामिल ना करों (नये दाखरस को पुरानी मसकोें में ना डालो, क्योंकि ऐसा करने से वे फट जायेंगी)

जिस प्रकार हम दूध लेते हैं, उसे पुराने बर्तन में, अर्थात जिस बर्तन में पहले से दूध रखा हो उस बर्तन में फिर से दूध नहीं रखते। अगर आप नया दूध पुराने दूध में डालते हैं तो वो फट जायेगा तो आपको क्या करना है, उस पुराने दूध को गिरा करके उस बर्तन को साफ करना है और तब उसमें नया दूध डालना है, तब वह दूध सुरक्षित रहेगा,

दोस्तों इसी प्रकार से जब हम प्रभु येशु मसीह के पीछे चलते है, तो आपको और हम सबको चाहिये कि हम अपने हृदय रूपी बर्तन को साफ करके रखें,

हम अपनी मसक को साफ करें ताकि जो प्रभु का नया ताजा अभिशेक है जो उसकी शिक्षा है। उसे ग्रहण करके हम उसके पीछे चल सकें और अपने जीवन में आशीषित हो सकें और अपने जीवन में सफल हो सकें।

परन्तु यदि आप अपने पुराने चाल चलन में ही रहेंगें। पुराने व्यवहार में ही रहेंगे, पुराने सोच विचार में ही रहेंगे तो आप मसीह के पीछे नहीं चल सकते है, आपको अपने सोच विचारों को अपने पुराने चाल चलन को उन पुराने व्यवहार को छोडना होगा, तब आप प्रभु येशु मसीह के पीछे चल सकेंगें।

यानि कि पहले उस हृदय रूपी मसक को आपको साफ करना होगा, उस हृदय रूपी बर्तन को आप को साफ करना होगा, तब ही वो दाखरस उस बर्तन में सुरक्षित रह पायेगा नहीं तों वो उसे नष्ट कर देगा खराब कर देगा,

तो यदि आप अपने जीवन में आषीशित होेना चाहते हैं, यदि आप अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं। तो आप को चाहिये की आप अपने पुरानेे सोच विचारों को साफ करें अपने व्यवहार को साफ करें अपने चाल चलन को साफ करें और जब आप अपने व्यवहार को अपने सोच विचार को और चाल चलन को साफ रखेंगे, तब प्रभु आपके जीवन को आषीशित करेगा, तब प्रभु आपको सफलता की ओर लेके जायेगा,

हम में से कई मषीही भाई-बहन एसे हैं, जो मसीह में तों हैं। परन्तु पुराने ही चाल चलन में हैं, पुराने ही स्वभाव में है। तो ऐसे में वे अपने जीवन में आषीश नहीं पायेंगें।

फिर हमें क्या करना चाहियें?

      हमें अपने पुराने चाल-चलन को पुरानी बातों को छोडकर, प्रभु की शिक्षा को ग्रहण करके उसके पीछे चलना है, उसके अज्ञाओें के अनुसार जीवन व्यतीत करना है, और जैसा बाइबल कहती है, वैसा ही चलना है तब प्रभु आपको आषीशित करता है, तब ही प्रभु की योजना आपके जीवन में पूरी हो पायेगी। 
      कुछ लोग ये सोचते हैं, कि किसी ने उनके ऊपर जादूटोना कर दिया है, वो क्यों ऐसा सोचते है, क्योंकि वो बाइबल नहीं पढ़ते, यदि वो वचनों को जानतेे तो वो ऐसा कभी नहीं सोचते, जादू का उन पर कभी असर भी नहीं होगा, 
      तो क्या करना है पहले अपने इस पुराने सोच विचार को जो पुराने समय से चली आ रही है उन सोच विचारों को आपको नस्ट करना है, उस गलत चालचलन को आपको समाप्त करना है उस पापमय स्वाभाव को आपको समाप्त करना है।

फिर आपके जीवन में क्या होगा?

और जब आप पुराना चाल चलन छोड़ देंगें सब चीजों को समाप्त कर देंगें प्रभु के पीछे चलना शुरू कर देंगें, उसकी नयी शिक्षाओं के अनुसार अपने जीवन को व्यतीत करना शुरू कर देंगें तब प्रभु आपको आषीशित करेंगें, तब प्रभु आपको आगे बड़ायेगा तब प्रभु आपको सफल करेगा, क्योंकि पुरानी मसकों में नया दाखरस नहीं रखा जाता, अर्थात पुराने चालचलन के अनुसार नया जीवन नहीं बिताया जा सकता।

यदि आप पुराने ही मसक बनें रहेगें तो आप में नया दाख रस नहीं रखा जा सकता, आपको क्या करना है उस पुरानी मसक को बदलना है, या फिर उस पुरानी मसक को साफ करना है, तब प्रभु आपको अपने राज्य के लिये इस्तेमाल करेंगें तब प्रभु आपको आगे बढायेगा।

प्रभु यीशु मसीह के संदेश का सार यह है कि विश्वास के लिए खुलेपन और परिवर्तन को अपनाने की इच्छा की आवश्यकता है। यह सख्त नियमों और परंपराओं का पालन करने के बारे में नहीं है बल्कि ऐसा हृदय रखने के बारे में है जो परमेश्वर की आत्मा के जागृति के प्रति ग्रहणशील है। धार्मिक अभ्यास के पुराने तरीकों में वह जीवन शक्ति और स्वतंत्रता नहीं हो सकती जो यीशु प्रदान करता है।

यह वचन एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है कि विश्वास पुरानी प्रथाओं या संरचनाओं को पकड़े रहने के बारे में नहीं है बल्कि परमेश्वर के नए प्रकटीकरण और कार्यों के लिए खुले रहने के बारे में है। यह हमें अपने स्वयं के दृष्टिकोण और पूर्व धारणाओं की जांच करने की चुनौती देता है, हमें प्रभु यीशु मसीह की शिक्षाओं की परिवर्तनकारी शक्ति को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है और उन्हें नए और सार्थक तरीकों से हमारे जीवन को आकार देने की अनुमति देता है।

प्रार्थनाः-

प्रेमी-पिता परमेश्वर मैं धन्यवाद करता हूँ आपके प्रेम के लिए जिसे आपने अपने पुत्र प्रभु यीशु मसीह के द्वारा मुझ पर प्रकट किया. पिता मैं प्रार्थना करता हूॅ कि मेरे जीवन में कार्य कीजिये, मुझे सामर्थ्य दीजिये कि मैं अपना पुराना चालचलन छोडकऱ आपके वचन पर चल सकुॅ, ताकि आपकी आषीशों को अपने जीवन में देख सकुॅ। आमीन

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