’’संकट के दिन मुझे पुकार, मै तुझे छुड़ऊंगा, और तू मेरी महिमा करने पाएगा ।’’
(भजन 50ः15)
वाक्यांस ’परमेष्वर संकट के दिन में तुम्हें बचाएगा’’ बाइबिल में यह एक विशिस्ट पद ही नहीं है, बल्कि यह पूरे शास्त्र में पाए जाने वाले ’एक विशेष विषय को दर्शाता है। पवित्र शास्त्र बाइबिल में कई ऐसे पद शामिल हैं जो लोगों के लिए परमेश्वर के छुटकारे, सुरक्षा और उद्धार पर जोर देते हैं लेकिन उनके लिऐ जो उस (परमेश्वर) पर भरोसा करते हैं।
मित्रों, आज मैं आपसे कहना चाहता हूॅ कि यदि आप संकट की घड़ी से होकर गुजर रहे हैं तो संकट के समय प्रभु आपको बचायेगा और आपकी हानि नहीं होने देगा। यदि कभी आपके जीवन में संकट आयेगा तो प्रभु उस दिन भी आपको बचा लेगा और किसी भी तरह की हानि आपको नहीं होने देगा।
उत्पत्ति की पुस्तक उसके 18 अध्याय में हम लोग देखते है कि एक बार परमेश्वर के दूत सदोम नगर को नष्ट करने के लिये निकले और अब्राहम से उन्होंने मुलाकात की। जब अब्राहम को इस बात का पता चला कि ये सदोम नगर को नष्ट करने आये हैं तब अब्राहम ने उन से कहा की प्रभु यदि वहॉ पर 50 लोग भी धर्मी हों, तो क्या तू फिर भी उस नगर को नष्ट करेगा ? प्रभु तु ऐसा नहीं कर सकता! तू धर्मियों को अधर्मियों से साथ नष्ट नहीं कर सकता, तब परमेष्वर के दूत ने उन लोंगोे से कहा कि यदि वहॉं पर 50 भी धर्मी होंगे तो मैं उस नगर को नष्ट नहीं होने दूॅगा, मैं उस नगर को बचा लूॅगा,
अब्राहम ने फिर उनसे कहा कि यदि वहॉ 45 लोग भी धर्मी हुये तो, फिर परमेश्वर ने कहॉ की यदि 45 लोग भी धर्मी हुये, तो भी मैं उस नगर को नष्ट नहीं होने दुॅगा, फिर अब्राहम ने प्रभु से कहा कि प्रभु यदि वहॉ 40 लोग भी धर्मी हुये तो क्या तू उन्हे नष्ट होने देगा ? तब परमेष्वर ने कहा यदि 40 लोग भी धर्मी हुये तो फिर भी उन्हे नष्ट नहीं होने दूॅगा। परन्तु एक व्यक्ति उस नगर में धर्मी जन था। और उसका नाम था ’’लूत’’ जो अब्राहम का भतीजा था, और लूत एक धर्मी जन था। और उसने उन स्वर्गदूतों को अपने घर में रखा।
परमेश्वर का वचन लूत के लिये इस प्रकार से कहता है। 2 पतरस 2ः7-8 में लिखा है, और लूत को जो अधर्मियों के अशुद्ध चाल-चलन से बहुत दुखी था छुटकारा दिया । क्योंकि वह धर्मी उनके बीच में रहते हुये, और उनके अधर्म के कामों को देखकर, और सुनसुनकर, हर दिन अपने सच्चे मन को पीड़ित करता था, उसके विषय में लिखा है कि ’’वह एक धर्मी जन था’’ और वह उन लोंगों को देखकर बहुत दुखी होता था, और जब दूत उस नगर में पहुचे तो परमेष्वर ने उन लाखों कि भीड़ में अपने उस धर्मी जन को पहचान लिया, और आप जानते है क्या हुआ, परमेष्वर ने लूत को और उसके परिवार को बचा लिया । और पूरा शहर नष्ट कर दिया, दोष्तों हम यहॉ पर देखते हैं कि धर्मी जन संकट के दिन जीवित रहा, जब उस नगर में क्लेष पड़ा तो संकट में परमेश्वर ने अपने धर्मी जन को बचा लिया, और नष्ट नहीं होने दिया।
उत्पत्ति 18ः23-33 में, अब्राहम प्रभु के साथ एक संवाद में संलग्न होता है, बार-बार यह पूछते हुए कि क्या वह धर्मी व्यक्तियों की घटती संख्या के कारण नगरों को बख्श देगा । अब्राहम विभिन्न परिदृष्यों का प्रस्ताव करता है, पचास धर्मी लोगो से शुरु होता है और धीरे-धीरे संख्या धटाकर दस तक पहुॅच जाता है। यहोवा सहमत है कि यदि दस धर्मी लोग मिलें तो वह नगरों को नष्ट नहीं करेगा।
अब्राहम और परमेश्वर के दूत के बीच की यह बातचीत अब्राहम के विश्वास, आतिथ्य और दूसरों के प्रति चिंता को प्र्रदर्षित करती है। यह कुछ धर्मी व्यक्तियों की खातिर शहरों को बख्शने की संभावना पर विचार करते हुए, संवाद और उनकी दया में शामिल होने की प्रभु की इच्छा को भी प्रकट करता है।
परमेश्वर का वचन इस आश्वासन को व्यक्त करता है कि परमेश्वर संकट के समय में मौजूद है और वह अपने पर भरोसा रखने वालों को सहायता और उद्धार प्रदान करने के लिए इच्छुक और सक्षम है। दोस्तों इसी प्रकार से आज आपसे मैं भी कहना चाहुॅगा कि यदि आप परमेश्वर पर भरोसा रखतें है तो वो आपकों संकट के दिन छुड़ा लेगा और आपकों परेशान नहीं होने देगा। आज के वचन से परमेश्वर आपको आशीष दे आमीन।