संदेह।

तब अब्राह्म मुंह के बल गिर पड़ा और हंसा, और अपने मन ही मन कहने लगा, क्या सौ वर्ष के पुरूष के भी सन्तान होगा और क्या सारा जो नब्बे वर्ष की है पुत्र जनेगी?

उत्पत्ति 17ः17

मसीह जीवन में बहुत से लोग परमेश्वर के वचन पर बहुत संदेह करते हैं। कि परमेश्वर का वचन उनके जीवन में पूरा होगा की नहीं होगा। परन्तु यदि आप विश्वासी हैं और प्रभु के वचन में चलते हैं। तो एक विश्वासी का मतलब है, कि वह परमेश्वर के वचन पर विश्वास करता है। इसलिए आपको भी परमेश्वर के वचन पर विश्वास करना है, न कि उस पर संदेह। उत्पत्ति 17ः17 में हम अब्राह्म के जीवन से देखते हैं। जब परमेश्वर अब्राह्म से बात चीत करता है कि सारा की एक सन्तान होगी और जब अब्राह्म ने इस बात को सुना। तो वह मन ही मन हंसने लगा और सोचने लगा कि मैं 100 साल का हूँ और सारा भी 90 साल की है। क्या सारा के गर्भ से कोई बच्चा पैदा हो सकता है। और क्या मैं सन्तान को पैदा कर सकता हूँ। इसलिए वह मन ही मन उस बात को सुनकर हंसने लगा। तब परमेश्वर ने उससे कहा निश्चय ऐसा ही होगा। यहाँ पर हम लोग देखते हैं। अब्राह्म ने परमेश्वर की बात पर संदेह किया, और उत्पत्ति 17ः18 के अनुसार कहने लगा कि ’’इश्माएल तेरी दृष्टि में बना रहे!’’ यही बहुत है। लेकिन परमेश्वर ने अब्राह्म से कहा, निश्चय तेरी पत्नी सारा से ही सन्तान उत्पन्न होगी और अब्राह्म ने परमेश्वर को धन्यावाद किया।
आप भी परमेश्वर के वचन पर संदेह न करें, यदि परमेश्वर का वचन कहता है; कि मत ड़र! तो आपको उस बात पर विश्वास करना हैं। यदि परमेश्वर का वचन कहता हैं; कि मैं तुझे आशीष दूँगा! तो उस बात पर आपको विश्वास करना होगा। और यदि परमेश्वर का वचन आप से कहता है; कि मेरे कोड़े खाने से तुम चंगे हो गये हो; तो आपको उस बात पर विश्वास करना है। इसलिये संदेह नहीं परन्तु विश्वास करो, हम जकर्याह के जीवन से देखते हैं। जकर्याह और ऐलिशिबा की कोई सन्तान नहीं थी। जब जकर्याह अपनी बारी के अनुसार परमेश्वर के भवन मेें धूप जलाने के लिये गया, तो वहाँ परमेश्वर ने उससे कहा कि तेरी संतान उत्पन्न होगी, परन्तु उसने भी संदेह किया, और तब स्वर्गदूत ने कहा की जब तक बच्चा पैदा होगा तब तक तेरा मुुॅह बन्द रहेगा। और जब तक उसका बच्चा (यहुन्ना) पैदा न हुआ तब तक जकर्याह का मूँह बन्द रहा। इसलिये परमेश्वर चाहते हैं कि हम संदेह न करें और अपने मुँह को हम बन्द रखें। और परमेश्वर के वचन के विरोध में हम कुछ भी न कहें अपितु वचन को अपने जीवन में मान लें, तब वो आपके जीवन मेें पूरा हो जायेगा।
यदि आप किसी परिस्थिति से होकर गुजर रहे हैं, तो आप परमेश्वर के वचन को उठायें और उस वचन पर मनन करें और उस वचन को याद करें और बोलते रहें, और अगर उस वचन को लेकर मन में सन्देह हो तो, उसके लिये परमेश्वर से प्रार्थना करें; और प्रभु आपके मन से सन्देह को दूर करेगा और विश्वास करें कि जो वचन लिखा हुआ है। वो मेरे जीवन में पूरा हो जायेगा। हम नये नियम में देखते है। प्रभू येशु मसीह के पास एक पिता अपने पुत्र को लेकर आया जिसको मिर्गी थी। और उसने प्रभु यीशु मसीह से कहा कि तू कुछ कर सकता है तो कर, उसने उससे कहा ’’कुछ कर सकता है’’ का क्या मतलब है; यदि विश्वास करे तो, विश्वास करनेे वाले के लिये सब कुछ हो सकता है, और उसने कहा कि मेरे अविश्वास का उपाय करें, और मैं विश्वास करता हूं कि तू सब कुछ कर सकता है। परमेश्वर के लिये कोई भी काम असम्भव नहीं हैं वह असम्भव को सम्भव कर सकता है। उसके लिये कोई काम कठिन नहीं है। आप इस बात पर विश्वास करें, कि वह आपके कठिन काम को भी सम्भव कर सकता है। आपका स्वर्ग जाना असम्भव था, लेकिन प्रभु यीशु के मृत्यू के द्वारा, विश्वास से अब आप स्वर्ग जा सकते है। ये भी कठिन है, कि 100,90,80 या 70 साल में कोई भी गर्ववती नहीं हो सकता लेकिन परमेश्वर जिस पर हम भरोसा करते हैं। वह असम्भव को सम्भव करने वाला परमेश्वर है। और उसने सारा को संतान दी।
हमारा परमेश्वर आज भी एसे आश्चर्यकर्मों को करता हैं; परन्तु उसके लिये जो उसके वचन पर विश्वास करता है, कि मेरा परमेश्वर असम्भव को सम्भव करने वाला परमेश्वर है। इसलिये परमेश्वर के वचनों पर भरोसा करें, उन्हें याद कर लें और अपने हुदय में बसा लें। और रोज उन वचनों के लिये धन्यवाद करें तो वह वचन आपके जीवन में पूरे होंगे।
प्रभु आपको इन वचनों के द्वारा बहुतायत से आशीष दे आमीन।

प्रार्थनाः- प्रभु जी हम प्रार्थना करते हैं कि हमारा विश्वास हर दिन आपके वचनों पर बढ़ता चला जाये। और उन वचनों पर विश्वास करके हम विपरीत परिस्थितियों पर जय पा सकें आमीन।

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