उत्पत्ति 18ः1-8
एक बार अब्राह्म बाहर अपने टैंन्ट के दरवाजे पर बैठा हुआ है और उसे दूर से तीन पुरूष आते हुये दिखते हैं। यह देखकर अब्राह्म तेजी से दौड़कर उनके पास पहुँचता है और कहता है, कि हे प्रभु यदि तुम्हारे अनुगृह कि दृष्टि मुझ पर रहे, तो तुम रूको और यहाँ पर इस पेड़ के नीचे बैठो। और अब्राह्म ने उन तीन पुरूषों के पैर धोये और कहा, कि मैं तुम्हारे लिये रोटी लेकर आता हूँ आप लोग यहाँ पर आराम करो और अब्राह्म अपने घर जाता है। और सारा से कहता है; कि जल्दि से रोटी बना! यह सुनकर सारा उनके लिये जल्दि से रोटि बनाती हैं। और अब्राह्म अपने सेवकों को आज्ञा देता है, कि वे बाकी उत्तम-उत्तम पकवान बनायें। और इस प्रकार अब्राह्म भोजन को उन तीन पुरूषों के पास ले जाता है, ताकि वे इसे खायें और जब तक वे भोजन को खाते हैं तब तक वह उनके सामने खड़ा रहता है।
यहाँ पर हम अब्राह्म के जीवन से उसके पहुनाई करने के गुण को देखते हैं, कि उसने किस प्रकार उन तीन पुरूषों को अच्छा-अच्छा भोजन खिलाकर उनकी पहुनाई की। जबकि अब्राह्म चाहता तो वह उन तीन पुरूषों को बिना ध्यान दिये जाने देता, यह कह कर ’’कि मैं तो इन्हें नहीं जानता ’’ और इस प्रकार वे तीन पुरूष जहाँ जा रहे थे वहाँ चले जाते। क्योंकि ऐसा भी नहीं था कि वे तीन पुरूष अब्राह्म के पास ही आ रहे थे, बल्कि वे तो रास्ते से जा रहे थे। लेकिन अब्राह्म ने उनके पास जाकर विनती की, कि आप तीनों व्यक्ति मेरे पास ठहरें और भोजन ग्रहण करें। और इस प्रकार उन्होंने भी अब्राह्म की विनती ग्रहण की और वे तीनों व्यक्ति रूक गये और अब्राह्म से कहा जैसा आप चाहते हैं वैसा ही करें; और इस प्रकार अब्राह्म ने उनके लिये उत्तम भोजन बनाया। यहाँ पर हमें अब्राहम के अन्दर पहूनाई और आदर सत्कार करने का गुण देखने को मिलता है। और इसके बदले उसको बड़ी आशीष भी मिली।
आज मैं आप से कहना चाहता हूँ कि हम में से बहुत से भाई-बहन हैं जो मसीह में तो हैं, लेकिन किसी की पहुनाई नहीं करना चाहते। वह नहीें चाहते कि कोई रिस्तेदार, प्रभु के लोग या प्रभु के दास उनके घर में आये क्योंकि यदि कोई उनके घर में आयेगा तो उनको महमानों के लिये भोजन, पानी की व्यवस्था करनी होगी और उसके बाद बर्तन भी धोने पड़ते हैं। शारिरिक आलस भी उनको महमानों को घर पर आने और उनकी पहुनाई करने के लिये इनकार करता है। परन्तु प्रभु हमारे जीवन से चाहते हैं, कि हम लोगों का अतिथि सतकार करें और उनके लिये भोजन तैय्यार करें। लेकिन बहुत से भाई-बहन हैं, जो ये अपने जीवन में कभी नहीं करते वे सोचते हैं, कि अतिथि सतकार करना ठीक नहीं है, क्योंकि ऐसा करने से उन पर काम का लोड़ आ जायेगा और उनके घर का माहौल खराब हो जायेगा। कई लोग सोचते हैं, कि उनके घर में जगह नहीं है और न ही इतना पैंसा हैं, कि वे किसी की पहुनाई कर सके। परन्तु लूका 6ः38 में बाइबल कहती है कि ’’दिया करो, तो तुम्हें भी दिया जायेगा।
प्रभु येशु मसीह ने कहा कि न्याय के दिन कुछ इस प्रकार से होगा जब मेरी भेड़ें खड़ी होंगी तब मैं उनसे पूछूंगा कि (मती 25ः38) जब मैं भूखा था, तो तुमने मुझे खाना दिया; जब मैं प्यासा था, तो तुमने मुझे पानी पिलाया; तब वे लोग कहेंगे कि कब प्रभु हमने तेरे साथ ऐसा किया तब मैं कहूँगा (मती 25ः40) कि इन छोटे-छोटे भाईयों के साथ तुमने जो भी किया वह मुझसे किया। इस प्रकार नया नियम और पुराना नियम में लिखा है, कि हम लोगों कि पहुनायी करें। (इब्रानियो 13ः1-2) में प्रेरित पौलुस इब्रानियों कि कलीसिया के लिये कहते हैं कि मसीही जीवन में लोगों की पहुनाई करना न भूलना क्योंकि बहुत से लोगों ने ऐसा करके स्वर्गदूतों का अतिथि सत्कार किया है। इसी प्रकार अब्राह्म को भी नहीं पता था, कि वे तीन पुरूष मनुष्य नहीं परमेश्वर के स्वर्गदूत हैं। परन्तु उसने उनको साधारण मनुष्य समझकर उनकी अतिथि सेवा की।
इसी प्रकार आज मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि जब आप किसी व्यक्ति की सेवा करते हैं, तो वास्तव में आप प्रभु की सेवा करते हैं, और जब आप किसी को रोटी खिलाते हैं, तो वास्तव में आप प्रभु येशु को खिलाते हैं। और जब आप किसी को अपने घर में जगह देते हैं, तो वास्तव में आप प्रभु यीशु मसीह को अपने घर में रखते हैं। इसलिये अपने दिल के दरवाजे को हमेशा प्रभु के लोगों के लिये खुला रखें, क्योंकि ये आपके लिये एक बड़ी आशीष का कारण होगा। इसलिये ये अब्राह्म का जो अतिथि सतकार का जो गुण है, ये आपके अन्दर भी होना चाहिये। मार्था और मरियम के जीवन से भी हम लोग देखते हैं कि मार्था के अन्दर भी यही पहुनायी का गुण था। वह सबकी सेवा में अकेली लगी हुयी थी।
इसलिये आज मै आप से कहूँगा कि पहुनाई के इस गुण को अपने अन्दर लेकर आयें प्रभु के लोगों का सत्कार करें, प्रभु आपके जीवन में आश्चर्य कर्माें को करेंगें। प्रभु आपको इस वचन के द्वारा आशीष दे आमीन।
प्रार्थनाः- प्रभु जी हम प्रार्थना करते हैं कि हम भी हमारे घर में आाने वाले प्रत्येक व्यक्ति की पहुनाई करें। क्योंकि वचन कहता है, कि तुमने जो भी इन छोटे से छोटे के साथ किया वह मुझसे किया। और इस प्रकार करने से आपकी आशीष हमारे जीवन में आये अमीन।