सभी लोग अपने जीवन में सफल होना चाहते है, सभी चाहते हैं कि जिस काम पर वे हाथ लगायें, या जिस काम को वे करने की सोच रहे हैं वह काम सफल हो जाये। हो सकता है आप भी चाहते हों कि आपके सभी काम सफल हों तो बाईबल हमें कामों में सफलता प्राप्त करने के विषय में भी सिखाती है। यदि आप उस प्रकार करेंगे तो आपके भी सारे काम सफल होंगे।
’’वह उस वृक्ष के समान है जो बहती नाली के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है और जिसके पत्ते कभी मुर्झाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है।’’
भजन संहिता १:3 यहाॅ पर परमेश्वर का वचन कुछ इस प्रकार से कहता है| कि ‘‘जो वृक्ष बहती नाली के किनारे या पानी के किनारे लगाया जाता है वह दूसरे वृक्षों की अपेक्षा बहुत फलवन्त होता है‘‘, हरा-भरा, हस्ट-पुस्ट रहता है, क्योंकि वह सूखा पड़ने पर भी जो आवश्यक पोषक तत्व हैं, वह पानी से लेता रहता है।
आगे परमेश्वर का वचन कहता है, कि वह अपनी ऋतु में फलता है| जो पेड साधारण जमीन पर लगाये जाते हैं उनकी अपेक्षा ये पेड सही समय पर फलवंत होते है , उस पर अधिक फल लगते हैं, उसके पत्ते कभी मुर्झाते नहीं वो हमेशा हरा भरा बना रहता है, उसके पत्ते लहलहाते रहते है।
वचन कहता है कि धर्मी जन ऐसे ही वृक्ष के समान है जो बहती नाली के किनारे लगाया गया है, और बहती नदी हमारा परमेश्वर है, जो जीवन का सोता है, जो व्यक्ति उस नदी की करीबी में रहता है वह इस वृक्ष के समान ही फलवंत होता है।
इसलिये जो व्यक्ति परमेष्वर की उपस्थिति में चलता है उसके लिए वचन कहता है कि ‘‘उसके काम हमेशा सफल होते जाते हैं ‘‘
भजन संहिता 1 अध्याय के 2 पद में इस प्रकार से लिखा है।
परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है।
भजन संहिता १:२ ‘‘जो व्यक्ति परमेश्वर की व्यवस्था पर रात दिन मन लगाता है, वो जो परमेश्वर की व्यवस्था से प्रसन्न रहता है और उस पर ध्यान दिये रहता है और उसमे जो कुछ लिखा है उसके अनुसार करने की कोषिश करता है।‘‘
वह व्यक्ति इस पेड़ के समान फलवन्त होता है, हरा भरा रहता है, मजबूत रहता है। जिस प्रकार से वह वृक्ष आँधी तूफान ठन्डी गरमी और दूसरी प्राकृतिक समस्याओं का सामना करके आगे बढ़ता रहता है उसी प्रकार वह व्यक्ति भी जीवन के हर क्षेत्र में आगे बडता रहता है।
दोस्तों यदि आप अपने जीवन में सफल होना चाहते है और इस पेड के समान फलवन्त होना चाहते है, तो आपको भी यही करना है जो वचन में लिखा है।
परमेष्वर की व्यवस्था पर मन लगायें, उसके अनुसार करने की चौकसी करें। जब आप इस प्रकार से करते है। तब परमेष्वर का वचन कहता है कि आप फलवंल होंगे, जीवन में आषीश बनी रहेंगी, जीवन में सुख शांति बनी रहेगी आप हस्ट पुस्ट और स्वस्थ रहेंगे और आपके काम सफल होंगे।
प्रार्थना:-
परमेश्वर पिता मैं आपका धन्यवाद करता हॅू इस सुन्दर वचन के लिए, पिता मुझे भी ऐसी शक्ति सार्मथ देना ताकि मैं आपके वचनों पर चलकर आपको महिमा दे सकूॅ, प्रभू मुझे भी उस पेड़ के समान फलवन्त करे और मेरे सब काम तथा जीवन के उद्धेष्य को सफल बनायें। प्रभुः आपके वचनों के लिये धन्यवाद, प्रभु यीशु मसीह के नाम में आमीन।
परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है।
Praise The Lord, apka bahut bahut dhanyawaad hamare blog ko padhne ke lie.