जो पेट भरते थे उन्हें रोटी के लिये मजदूरी करनी पड़ी, जो भूखे थे वे फिर ऐसे न रहे। वरन जो बांझ थी उसके सात हुए, और अनेक बालकों की माता धुलती जाती है।
1 शमूएल 2ः5
इस अध्याय में हम देखते हैं कि, हन्ना जिसकी कोई सन्तान नहीं थी, क्योंकि वह बांझ थी, जिस कारण वह बहुत दुःखी और उदास रहती थी। हर साल हन्ना और उसका पूरा परिवार परमेश्वर के भवन जाया करते थे, इस बार हन्ना परमेश्वर के भवन में गई और परमेश्वर के सामने रोने लगी और अपने दुःख का हाल परमेश्वर को बताने लगी, वहां परमेश्वर का भक्त एली था उसने हन्ना से कहा कि परमेश्वर तुझे मुंह मांगा वरदान दे। हन्ना परमेश्वर के भक्त के मुंह से इस बात को सुनकर खुश हुई और वहां से वापस चली गई, बाईबल कहती है कि उस दिन के बाद फिर कभी उसका मुंह उदास नहीं हुआ क्योंकि उसने मान लिया था कि जो कुछ परमेश्वर के भक्त ने कहा है वह निश्चय पूरा होगा। समय पूरा हुआ और परमेश्वर ने उसेे सन्तान की आशीष दी, जिसका नाम शमुएल रखा गया।
इसलिए हन्ना आनन्दित होकर परमेश्वर को महिमा देते हुए इस वचन में कहती है, जो बांझ थी उसके सात हुए; जबकि हन्ना के लिये कोई उम्मीद नहीं थी, परन्तु परमेश्वर ने उसकी सुनी और उसके सात बच्चे हुये, उसका जीवन आनन्द और खुशियों से भर गया।
हो सकता है आपके जीवन में भी हन्ना की तरह दुःख हों परन्तु मै आपसे कहुंगा कि उम्मीद न छोडे, परमेश्वर से प्रार्थना करते रहें वह आपके लिए मार्ग निकालेगा, हम ऐसे परमेश्वर पर भरोसा करते हैं जो जंगल में मार्ग को निकालता है, रेगिस्तान में जहां पानी की कोई भी उम्मीद नहीं होती वहां जल की धाराओं को बहाता है, उसके लिये कोई भी काम असम्भव नहीं है,। आपको हन्ना की तरह परमेश्वर से प्रार्थना करनी है, और जिस प्रकार परमेश्वर ने हन्ना की प्रार्थनाओं को सुना उसी प्रकार परमेश्वर आपकी भी प्रार्थनाओं को सुनेगा।
इसलिए उम्मीद न छोडे़ं, प्रभु पर भरोसा रखें, प्रार्थना करते रहेें, प्रभु आपके जीवन को आनन्द से भरेगा।
प्रभु आपको इस वचन के द्वारा आशीष दे आमीन
प्रार्थनाः-प्रभु जी हम प्रार्थना करते है कि हमारा विश्वास इतना मजबूत हो कि हमारी प्राथनाओं का जवाब मिलने तक हम उम्मीद न छोड़े और आप पर भरोसा बनायें रखें आमीन।
Amen